Lockdown, Pandemic and Professional Development

लॉकडाउन, महामारी और व्यावसायिक विकास

 

“एजुकेशन जीवन की तैयारी नहीं, ये अपने आप में ही एक जीवन हैl

JohnDewey

शिक्षा-शिक्षक तथा शिक्षण प्रणाली प्रत्येक देश, उसकी संस्कृति, सुरक्षा तथा प्रगति का महत्त्वपूर्ण अंग मानी जाती है l लेखक ने बड़ी खूबसूरती से शिक्षा और जीवन के सम्बन्ध का बखान किया हैl

कोरोना जैसी भयंकर बीमारी ने देखते ही देखते पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लियाl स्कूल-कॉलेज, दफ़्तर, बाज़ार, दुकानें, संस्थाएँ, मंदिर-मस्जिद-गिरिजाघर-गुरुद्वारे, कारखाने आदि सभी धीरे-धीरे बंद होने लगे और देश में lockdown की घोषणा कर दी गई l भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने प्रत्येक नागरिक से अपने घर के अंदर रहने का निवेदन किया तथा ज़रूरत की हर वस्तु शहरों, गाँवों, कस्बों, जिलों आदि में समय पर उपलब्ध करवाने का आश्वासन भी दिया l उसके बावजूद lockdown से होने वाला असर प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में खलबली मचा गया l

“जीवन में कठिनाइयाँ हमें बर्बाद करने नहीं आती हैं, बल्कि यह हमारे छुपे हुसामर्थ्य और शक्तियों को बाहर निकालने में हमारी मदद करती हैं, कठिनाइयों को ये जान लेने दो कि आप उससे भी ज़्यादा कठिन हो”

पूर्व राष्ट्रपति, डॉक्टर अब्दुल कलाम जी के इन शब्दों ने Pandemic व lockdown का रूप ही बदल दिया l ये शब्द दिन-रात मेरे कानों में गूँजने लगे और इस गूँज ने जीवन को एक नई दिशा की तरफ़ मोड़ दिया lकई किताबें पढ़ीं, फ़िल्में देखीं, साफ़-सफ़ाई की, नित नए पकवान बनाए लेकिन इन सबसे मानस-पटल में चैन की अनुभूति की संभावना भी कोसों दूर थी । तभी विचार कौंधा कि महामारी के इस समय को व्यक्तिगत, सगंठनात्मक सुधार एवं व्यावसायिक विकास के लिए क्यों न उपयोग में लाया जाए ? इस निर्णय के दृढ़ निश्चयी होते ही कई प्रश्न प्रत्यक्ष रूप से मेरे समक्ष उत्पन्न हो गएl

जैसे:

  • स्कूलों का क्या होगा ?
  • छात्रों की पढ़ाई काक्याहोगा ?
  • परीक्षाएँ कैसे होंगी ?
  • नया सत्र कैसे आरम्भ होगा ?
  • पुस्तकें कहाँ से आएँगी ?
  • शिक्षक छात्रों तक कैसे पहुँचेंगे ?
  • अध्यापकों को ऑनलाइन शिक्षण-अधिगम हेतु प्रशिक्षणकैसे दिया जाए?
  • माता-पिता को कैसे समझाया जाए?
  • लैपटॉप, स्मार्ट फ़ोन, कम्प्यूटर आदि की समस्याओं को किस प्रकार सुलझाया जाएगा ?प्रश्न तो बहुत थे लेकिन जवाब एक भी नहीं l तभी नीचे लिखीं ये पंक्तियाँ अँधेरे में दीए का काम कर गईं और अपनी लौ से चारों तरफ़ रोशनी फैला गईं l

“जो अपने कदमों की काबिलियत पर विश्वास रखते हैं वो ही अक्सर मंजिल पर पहुँचते हैंl

फिर क्या था घर से ही Microsoft TEAMSGoogle class roomsZoomYouTube.com आदि की मदद से ऑनलाइन मीटिंग्स, workshops, कवि सम्मेलन, दि का आयोजन करना सीख लिया l VirtualFlipped classes आरम्भ कर दिए lKahootPadletGoogleformsvideosआदिबनाने सीख लिए l छात्रों के लिए तरह-तरह की मज़ेदार गतिविधियाँ जैसे वाद-विवाद, भाषण, नाटक, कविताएँ आदि करवाने आरम्भ कर दिए l इसी प्रकार कई webinarsessionstraining में भाग लिया और श्री शिक्षकों के लिए इनकाआयोजन किया l ऑनलाइन कोर्स किए तथा अपनी क्षमताओं का निरंतर विकास करते हुए आगे बढ़ती गई l

एक तरफ़ ये महामारी अपने साथ कई मुसीबतें लाई तो दूसरी तरफ़ नई-नई संभावनाओं के द्वार भी खोलदिएl आज पूरे हिन्दुस्तान का हर शिक्षक अपनी-अपनी क्षमताओं, संसाधनों के अनुसार अपने छात्रों के घर तक पहुँच कर उनकी पढ़ाई पूरी करवाने में यथासंभव सहायताकर रहा हैl

जीत और हार आपकी सोच पर निर्भर करती है,

मानलो तो हार, ठान लो तो जीत l

मुझे विश्वासहै कि मेरी तरह हर व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्र में बहुत सी नई-नई चीजें सीख, सिखा तथा कर रहा होगा l तो देर किस बात की है दोस्तों, कलम उठाइए और लिख डालिए ‘महामारी के दौरान अर्जित किए गए अनुभव तथा विकसित हुए कौशलों की गाथा l

कभी भी जीवन में इस प्रकार की कोई स्थिति आ जाए तो घबराना नहीं, केवल एक बात याद रखना कि सकारात्मक सोच के चलते बड़ी से बड़ी मुसीबत पर विजय प्राप्त की जा सकती है l

“कौन है जिसमें कमी नहीं, आसमां के पास भी तो ज़मी नहीं l

अंकित जैन जी के इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देती हूँ और आशा करती हूँ कि आप भी अपने अनुभव जल्द से जल्द लिखकर सभी के साथ साझा करेंगेl

कोमल दुआ

Chief Manager – Education & Training SEL